Wednesday, September 26, 2012

REVIEW OF HEROINE


"हीरोइन" मेरी नज़र से.....

'डर्टी पिक्चर' की 'फैशन'एबल "हीरोइन" 

एक हीरोइन की कहानी नहीं बल्कि किसी भी आम इन्सान की बेवकूफी और गलतियों की कहानी हैं फिल्म "हीरोइन" । फिल्म में करीना कपूर के रूप में माही अरोड़ा का किरदार किसी भी आम लड़की से कुछ ख़ास जुदा नहीं । किसा भी आम लड़की की तरह माही भी अपने प्यार को  लेकर बेहद पजे़सिव और इन्सिक्योर हैं। कहते हैं इन्सान बेवकूफी भी  अपने लेवल के हिसाब से करता हैं, क्योंकि माही एक बड़ी स्टार हैं, जाहिर हैं उसकी बेवकूफी और गलतियां भी बहुत बड़ी-बड़ी थी। वैसे तो मधुर अपने नए-ऩए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं लेकिन हीरोइन में उन्होने अपनी ही पुरानी फिल्म 'फैशन' की लाइन अपनायी हैं, फिल्म की कहानी थोड़ी बहुत डर्टी पिक्चर की कहानी से भी मेल खाती हैं। डर्टी पिक्चर की रेश्मा फिल्म पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी और हीरोइन की माही अपनी फिल्म को हिट कराने के लिए कुछ भी कर सकती हैं....'कुछ भी'। संगीत के नाम पर फिल्म का केवल एक ही गाना 'संइया' ही आपके कानों को सुकून पहुंचाएगा। ये सिर्फ करीना, अर्जुन रामपाल और रणदीप हुड्डा की कमाल की अदाकारी ही हैं जो फिल्म को एक बार देखने लायक बनाती हैं, बाकी कहानी बेहद बेकार हैं।  'तपन दा' के रूप में रणवीर शौरी का किरदार छोटा लेकिन बेहद अहम और जबरदस्त हैं।  फिल्म का अंत निराशाजनक हैं, 'THE END' के टैग के बाद भी आपको लगेगा कि ' पिक्चर अभी बाकी हैं ' । यूं तो आपको ऐसी कई फिल्में मिल जाएंगी जो आपको एक स्टार, एक हीरोइन बनने के लिए इन्सपायर करेंगी लेकिन फिल्म हीरोइन कहीं न कहीं ये संदेश देती हैं कि सबकुछ बनना लेकिन कभी 'हीरोइन' मत बनना ।